Why Modi is leaning towards Dalit?- Quick Answer.




प्रधानमन्त्री के दलित प्रेम से चिढ़ें मत।
कोई भी कमेण्ट करने से पहले इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।

कुछ लोगों की शिकायत है कि प्रधानमन्त्री दलितों के ऊपर अत्यधिक मेहरबान हैं जो सच भी है। लेकिन जब आप सब गहराई पूर्वक सूक्ष्मतम रूप से इस पर विचार करेंगे तो प्रधानमन्त्री आपको ग़लत नहीं लगेंगे।

दलितों को लेकर चार अन्तरराष्ट्रीय तत्वों में होड़ सी मची है। एक ओर इसे विदेशी धन के बलबूते चर्च निगलना चाह रहा है तो दूसरी ओर इस्लाम भी जय मीम और जय भीम का नारा देकर निगलने को तैयार खड़ा है। तीसरी ओर अन्य पन्थ भी इस समाज पर अपना अलग अधिकार जताता है तो चौथी ओर कम्युनिस्ट पार्टियां इसे धर्म और आस्था से विहीन कर हिन्दुओंं से अलग करने पर आमदा हैं।

यह चारों के चारों अंतरराष्ट्रीय/अराष्ट्रीय तत्व हैं और इनमें से एक की ओर भी दलितों का झुकना न तो भारत के लिए हितैषी और न ही बहुसंख्यक हिन्दू समाज के लिए। क्योंकि दलित इन चारों में से किसी एक से भी जुड़ते हैं तो हमारा देश और धर्म दोनों कमजोर हो जाएगा।

इसलिए प्रधानमन्त्री जी का पूरा जोर यह है कि दलितों को इन चारों अराष्ट्रीय तत्वों के चंगुल में फंसने से कैसे रोकें? ताकि न तो देश की दीवार में कोई दरार आए और न ही हिन्दुत्व कमजोर हो।

इसलिए आप प्रधानमन्त्री के दूरदृष्टि को गम्भीरतापूर्वक समझने का प्रयास कीजिए। दलितों पर फोकस होने का मतलब इन चारों के जाल में फंसने से रोकना है।
जब स्थिति सामान्य होगी और देश नियन्त्रण में होगा तो देशद्रोह के लिए कोई सर नहीं उठा सकेगा । सनातनधर्म और राष्ट्र सुरक्षित होगा।

कृपया समझने की कोशिश कीजिये।
हिन्दू मृत्युशय्या की निद्रा में है जो धर्म और देशहित के लिए जागना ही नहीं चाहता है।

मुझे मालूम है कि मेरी इस पोस्ट को बहुत सारे लोग गलत साबित करेंगे और बहुत से लोग नाराज भी होंगे। उनका नाराज होना लाजमी है क्योंकि वह भी समाज के लिए लड़ने वाले व्यक्ति हैं तो मैं उनसे क्षमा चाहता हूँ। लेकिन यह एक कड़वी वास्तविकता है इसे स्वीकार करना होगा और इस जहर को भी स्वर्ण समाज को ही पीना होगा।

Bharath Mata Ki Jay.

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